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Abhirang: The Hindi Dramatics Society

हिंदी विभाग की नाट्य संस्था 'अभिरंग' का सफर 2006 में प्रारम्भ हुआ था। इस नाट्य संस्था का उद्देश्य हिंदी विद्यार्थियों को मंच प्रदान करना है। अब तक अभिरंग ने अनेक नाटकों का मंचन किया है और नाटक तथा रंगमंच विषयक गोष्ठियों का आयोजन किया है। अभिरंग का मानना है कि नाट्य गतिविधियों से न केवल विद्यार्थी साहित्य-संस्कृति के प्रति संवेदनशील होते हैं अपितु इनसे विद्यार्थियों का व्यक्तित्व अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बनता है। अभिरंग की गतिविधियाँ महाविद्यालय परिसर तथा बाहर भी अनेक नगरों में हुई है।

 

अध्यक्ष/पदाधिकारियों की सूची

अभिरंग कार्यकारिणी सत्र, 2022-23

संयोजक - लोकेश (तृतीय वर्ष )

सह संयोजक - आयुष मिश्रा (द्वितीय वर्ष )

सचिव - श्रुति नायक (द्वितीय वर्ष )

सह सचिव - सत्यम राठौड़ (प्रथम वर्ष )

कोषाध्यक्ष - भानु प्रताप सिंह (द्वितीय वर्ष )

मीडिया प्रभारी - जयश्री धवल (प्रथम वर्ष )

 

डॉ पल्लव

सहायक आचार्य (हिन्दी)

परामर्शदाता अभिरंग

 

गतिविधियां

हिन्दू कालेज की हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग' अपनी गतिविधियों और सक्रियता के कारण जानी जाती है। 2022 में कालेज में सहशैक्षणिक गतिविधियाँ विधिवत शुरू होने के साथ 'अभिरंग' ने भी अपनी सक्रियता प्रारम्भ की। 

प्रमुख गतिविधियाँ:

  • प्रथम वर्ष के प्रवेश के बाद अच्छी संख्या में नए विद्यार्थियों का पंजीकरण।
  • शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए अभिरंग की कार्यकारिणी का गठन एवं नए विद्यार्थियों के मध्य ओरिएंटेशन।
  • नाटक 'गज फुट इंच' का मंचन-

 

महाविद्यालय के पुनर्निर्मित भव्य सभागार में 15 नवम्बर 2022 को अभिरंग द्वारा प्रसिद्ध व्यंग्यकार के पी सक्सेना लिखित नाटक 'गज फुट इंच' का मंचन किया गया। 'गज, फुट, इंच' शीर्षक से मंचित इस नाटक में भारतीय समाज में धन कमाने की लोभी प्रवृत्ति के कारण व्यक्तित्व के दमन पर व्यंग्य किया गया है। नाटक में दिव्यांश प्रताप सिंह द्वारा पोखरमल, दृष्टि शर्मा द्वारा गुल्लो, कृतिका द्वारा जुगनी, आयुष मिश्र द्वारा टिल्लू, मोहित द्वारा युवक, श्रुति नायक द्वारा माँ, भानु प्रताप सिंह द्वारा साईदास का अभिनय दर्शकों ने बेहद पसंद किया। दिव्यांश द्वारा पोखरमल की भूमिका में स्थानीय मुहावरों में संवाद अदायगी तथा टिल्लू की भूमिका में आयुष मिश्र के आंगिक अभिनय को दर्शकों ने लगातार तालियाँ बजाकर सराहना की। नेपथ्य में लोकेश, जूही शर्मा, चंचल, रितिका शर्मा, अजय, वज्रांग और आरिश ने विभिन्न कार्यों द्वारा मंचन में सहयोग दिया।

मंचन के पश्चात् अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने अंत में अभिनेताओं का परिचय देते हुए कहा कि रंगमंच की गतिविधि युवाओं के व्यक्तित्व को बहुआयामी बनाती है और इससे उन्हें न केवल भावी जीवन में मदद मिलती है अपितु वे स्वयं भी बेहतर मनुष्य बन पाते हैं। उन्होंने अभिरंग के उद्देश्यों और संकल्पों के बारे में कहा कि नयी पीढ़ी में सामूहिकता और सामुदायिकता के लिए इस तरह की गतिविधियां सदैव उपयोगी रहेंगी। नाटक के प्रारम्भ में रितिका शर्मा ने नाटक की विषय वस्तु तथा नाटककार का परिचय दिया। अभिरंग के छात्र संयोजक लोकेश ने आभार ज्ञापन किया। हिन्दू कालेज के सभागार में इस अवसर पर हिंदी विभाग के अध्यक्ष अभय रंजन, आचार्य रचना सिंह, संस्कृत विभाग के डॉ विजय गर्ग, डॉ जगमोहन, पुस्तकालयाध्यक्ष संजीव शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे। 

 

  • शैक्षणिक भ्रमण

17 नवम्बर 2022 को फाउंडेशन फ़ॉर क्रिएटिविटी एंड कम्युनिकेशन के सहयोग से हिन्दू कालेज की नाट्य संस्था अभिरंग ने सांस्कृतिक भ्रमण का आयोजन किया। इस यात्रा का शीर्षक 'कुछ दूर तो चलकर देखो' था। जाने माने नाटककार और यात्रा आख्यानकार असग़र वजाहत के निर्देशन में युवा कलाकारों को ग़ालिब की हवेली, जामा मस्जिद, महाकवि मीर के स्थल और गुरुद्वारा शीशगंज साहिब के दर्शन किये। असग़र वजाहत ने जामा मस्जिद के प्रांगण में मध्यकाल के अनेक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सभ्यता और संस्कृति सभी समुदायों, सभी लोगों को साथ लेकर चलने से बनती है। उन्होंने सूफी संत सरमद, मौलाना आज़ाद और जामा मस्जिद से जुड़ी किंवदंतियां बताईं। जामा मस्जिद से चावड़ी बाज़ार होते हुए गली कासिमजान जाते हुए प्रो वजाहत ने 1857 की क्रांति और मराठों के दिल्ली शासन से से जुड़े अनेक प्रसंग भी सुनाए। गालिब की शायरी के महत्त्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि वे भारत के पहले आधुनिक लेखक हैं जो मनुष्य जीवन को अत्यधिक सम्मान देते हैं। प्रो वजाहत ने गुरु तेगबहादुर की शहादत और गुरुद्वारे के ऐतिहासिकता के कुछ प्रसंग भी बताए। इससे पहले अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने विद्यार्थियों को पर्यटन और सांस्कृतिक-समाजिक पर्यटन का भेद बताते हुए कहा कि असग़र वजाहत हमारी संस्कृति के उन दुर्लभ लेखकों में से हैं जो साहित्य को सामाजिकता से अभिन्न मानते हैं। इस सांस्कृतिक भ्रमण में हिन्दू कालेज के युवा रंगकर्मियों की अनेक जिज्ञासाओं के उत्तर भी प्रो वजाहत ने दिया। 

1 फरवरी 2023 को नाट्य मनीषी दशरथ ओझा का अवदान विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई। प्रसिद्ध रंगकर्मी और आलोचक देवेंद्र राज अंकुर ने हिन्दू कालेज में आयोजित इस संगोष्ठी में कहा कि ओझा जी द्वारा लिखित 'हिंदी नाटक : उद्भव और विकास' के बाद 'आज का हिंदी नाटक : प्रगति और प्रभाव' ऐसे ग्रन्थ हैं जिन्हें पढ़कर हिंदी नाटक के इतिहास को सम्पूर्णता में जाना जा सकता है। 'आज का हिंदी नाटक : प्रगति और प्रभाव' को 'अंधा युग', 'पहला राजा' और 'आठवाँ सर्ग' के अध्ययन के लिए विशेष उल्लेखनीय बताया।उन्होंने कहा कि दशरथ ओझा उन अध्येताओं में थे जिन्होंने स्थाई महत्त्व का लेखन किया जिसे उनके निधन के चालीस वर्षों के बाद भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।

अंकुर ने ओझा जी के जगदीश चंद्र माथुर के साथ मिलकर लिखी गई किताब 'प्राचीन भाषा नाटक' को भी याद करते हुए बताया कि संस्कृत और प्राचीन भारतीय भाषाओं का ऐसा अद्भुत संग्रह हमारे सांस्कृतिक इतिहास की थाती है। उन्होंने ओझा जी द्वारा निर्मित 'हिन्दी नाटक कोश' के महत्त्व की भी चर्चा की।

जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक 'चन्द्रगुप्त' के अध्यापन के संस्मरण सुनाते हुए उन्होंने बताया कि ऐसे बड़े और गंभीर नाटक एक एक संवाद को वे कक्षा में पढ़ाते थे। नाटक जब पाठ से रंगमंच तक जाता है तब वह सम्पूर्ण होता है। नाटक की आंतरिक जटिलताएं मंच पर ही व्यक्त हो पाती हैं पढ़ते हुए नहीं। उन्होंने हिंदी विद्यार्थियों की रंगमंच में घटती रुचि पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो नाटक पाठ्यक्रम में होता है और यदि उसका मंचन हो तब विद्यार्थी उसे देखने आते हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि रंगमंच के बिना साहित्य का वृत्त सम्पूर्ण नहीं होता। अंकुर ने कहा कि रंगमंच ही ऐसा माध्यम है जो गलतियाँ सुधारने का अवसर हमेशा देता है।

इससे पहले दशरथ ओझा लिखित उपन्यास 'एकता के अग्रदूत : शंकराचार्य' तथा 'आज का हिंदी नाटक : प्रगति और प्रभाव' का लोकार्पण किया गया। दोनों पुस्तकों के नये संस्करण लगभग चालीस वर्षों के बाद आए हैं। हिंदी विभाग के आचार्य प्रो रामेश्वर राय ने उपन्यास 'एकता के अग्रदूत : शंकराचार्य' को उल्लेखनीय कृति बताते हुए कहा कि गंभीर भाषा में अपने युग के महान आचार्य के जीवन पर लिखी गई ऐसी पुस्तक है जिसमें दर्शन और संस्कृति का सार है। पुस्तकों की प्रकाशक और राजपाल एंड सन्ज़ की निदेशक मीरा जौहरी ने कहा कि उनके लिए पुस्तक प्रकाशन व्यवसाय से अधिक सांस्कृतिक योगदान है। जौहरी ने ओझा जी के व्यक्तित्व को याद करते हुए उनके कुछ संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने कहा कि यह आयोजन अनूठा है क्योंकि आत्मप्रदर्शन के इस दौर में ऐसे लेखक को याद किया जा रहा है अनुपस्थिति को भी लंबा समय व्यतीत हो गया है। 

गोष्ठी का संयोजन दृष्टि शर्मा ने किया और आयुष मिश्र ने लेखक परिचय दिया। अंत में लोकेश ने आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में जूही शर्मा, चंचल, रितिका शर्मा, अजय, वज्रांग और आरिश ने स्वागत और अभिनन्दन किया। हिन्दू कालेज के सुशीला देवी सभागार में इस अवसर पर हिंदी विभाग के आचार्य रचना सिंह, डॉ विमलेन्दु तीर्थंकर सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।

 







 





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